Begin typing your search above and press return to search.
समाज

बेटा पैदा करने के लिए 83 वर्ष के बुड्ढे ने की शादी, लेकिन बूड्ढे को कौन बताए कि बीबियां बदलने से नहीं पैदा होते बेटे

Janjwar Team
20 Feb 2018 12:17 PM GMT
बेटा पैदा करने के लिए 83 वर्ष के बुड्ढे ने की शादी, लेकिन बूड्ढे को कौन बताए कि बीबियां बदलने से नहीं पैदा होते बेटे
x

अपने से करीब तीन गुनी कम उम्र की 30 वर्षीय लड़की से 83 वर्ष का बैरवा इसलिए शादी कर रहा कि उससे एक बेटा पैदा हो जाए, जो बने उसकी संपत्ति का वारिस

संपत्ति का वारिस बेटे को बनाने के लिए ऐसी शादी भारत में नहीं हो रही कोई पहली बार, होती रहती हैं ऐसी शादियां, पर गांवों का मामला होने के वजह से नहीं करता कोई गौर

पहली बीवी भी सुकराम बैरवा की शादी से सहमत, बैरवा को पहले से हैं दो बेटियां

जनज्वार। राजस्थान के करौली जिले के सुकराम बैरवा ने 83 वर्ष की उम्र में इसलिए शादी की है कि उन्हें एक बेटा चाहिए। बेटा इसलिए चाहिए कि वह उनकी संपत्ति का वारिस बन सके। सुकराम खुद कहते भी हैं कि मैंने बेटा पैदा करने के लिए शादी की है, जिससे मेरे मरने के बाद मेरी पीढ़ियां जिंदा रह सकें, मेरे बाद मेरे कुल—खानदान का अंत न हो।

करौली जिले के समरदा गांव के सुकराम ने अपनी शादी में आसपास के 12 गांवों के लोगों को शादी में निमंत्रित किया था। उनकी शादी में दोनों बेटियां भी आई थीं जो सुकराम की पहली बीवी बट्टो से हैं। सुकराम की पहली बीवी भी इस बात से सहमत थीं कि बेटे के लिए सुकराम को दूसरी शादी कर लेनी चाहिए। सुकराम की पहली बीवी ने बढ़—चढ़कर इसमें हिस्सा भी लिया।

इस मामले में प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। एक बीवी के रहते दूसरी शादी हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार अपराध है, पर यह तब बेअसर हो जाता है जब पहली बीवी को दूसरी शादी से ऐतराज न हो।

प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता जगमति सांगवान कहती हैं, 'इसमें औरत की सहमति का कोई मतलब नहीं होता। औरत वही कहती है जो रिश्तेदार और उसका पति कहता है। अगर वह विरोध भी करती तो क्या कर लेती। दूसरी बात मर्द से ही खानदान चलता है, यह पुरुष वर्चस्ववादी समाज औरत के मन में भी बसा देता है। अन्यथा दो बेटियों के होते यह शादी क्यों होती, जिसमें बड़ा अपराध औरत के खिलाफ ही हो रहा है।'

रही बात दूसरी शादी कर बेटा पैदा करने की तो वह हो सकता है इस शादी से भी पूरी न हो। क्योंकि औरत के गर्भ से बेटा पैदा होगा या बेटी, इसे औरत नहीं बल्कि मर्द के वीर्य में पाया जाने वाला स्पर्म तय करता है।

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार मर्द के वीर्य में दो तरह के शुक्राणु पाए जाते हैं, जिन्हें एक्स क्रोमोसोम और वाई क्रोमोसोम कहते हैं। जब एक्स क्रोमोसोम औरत के अंडाणु से निषेचित होता है तो बेटा पैदा होता है और जब वाई तो बेटी। पर कई बार कुछ पुरूषों में एक्स क्रोमोसोम निष्क्रिय होता है या कमजोर होता है या नहीं होता है तो बेटा पैदा नहीं होता।

ऐसे में अगर सुकराम के मामले को देखें तो साफ है कि उनमें एक्स और वाई क्रोमोसोम दोनों सक्रिय थे। इसलिए उनको दो बेटी और एक बेटा पैदा हुआ। लेकिन 20 साल पहले बेटा किसी गंभीर बीमारी से मर गया।

ग्रामीण कहते हैं सुखराम बैरवा की हालत आर्थिक रूप से काफी अच्छी है। उसकी गांव में ढेर सारी जमीन-जायदाद होने के साथ राजधानी दिल्ली में भी एक घर है। साथ ही यह बताना भी नहीं भूल रहे कि पति की शादी करवाकर उसकी पहली पत्नी भी खुश है, क्योंकि खानदान को वारिस मिल जाएगा।

जाहिर है पहले बेटे की मौत के बाद सुकराम और उनकी पत्नी ने पिछले 20 वर्षों से बेटा पैदा करने के प्रयास किए होंगे, जो नहीं हुआ और उसके लिए सुकराम को अपने से 53 वर्ष कम उम्र की लड़की से शादी करनी पड़ रही है। ऐसे में इसकी संभावना से कत्तई इनकार नहीं किया जा सकता है कि उसके शुक्राणु में इतनी मजबूती न रह गयी हो कि बेटा पैदा हो।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुशीला तिवारी कहती हैं, 'सिर्फ भ्रम और मर्दवादी मानसिकता है कि औरत बदलने से बेटा पैदा हो जाएगा। बेटा या बेटी पैदा करने का निर्धारण औरत के अंडे से मर्द के शुक्राणु से होता है।'

डॉक्टर तिवारी कहती हैं, 'हो सकता है सुकराम बैरवा के शुक्राणु इस स्थिति में ही न हों कि वह भ्रूण का निर्माण कर सकें। क्या पिछले 20 वर्षों में उनकी पत्नी गर्भवती हुई या नहीं? और इससे भी बड़ा सवाल है कि क्या 83 वर्ष के बुढ़ऊ ने अपना कोई चेकअप कराया क्या कि वह इस काबिल हैं जिससे संतान पैदा हो।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध