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संस्कृति

साहित्यकार अशोक वाजपेयी के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश

Janjwar Team
6 Dec 2017 1:50 PM GMT
साहित्यकार अशोक वाजपेयी के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश
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संस्कृति मंत्रालय को लगता है कि ललित कला अकादमी के अध्यक्ष रहते हुए चर्चित हिंदी कवि, पूर्व आइएएस अधिकारी और साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने घपले किए हैं...

जनज्वार, दिल्ली। देश के प्रमुख सरकारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्थानों में से एक दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी इस समय आर्थिक गड़बड़ियों को लेकर चर्चा में है। संस्कृति मंत्रालय ने ललित कला अकादमी में हुए कथित अनियमितताओं के मद्देनजर सीबीआई को पत्र लिखकर जांच कराने का अनुरोध किया।

संस्कृति मंत्रालय की ओर से 20 नवंबर को एक पत्र लिखा गया है। एक पेज का यह पत्र सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा को संबोधित है और आर्थिक अनियमितताओं की बातें कही गयी हैं, जिसमें ललित कला अकादमी के चेयरमैन रहे साहित्यकार अशोक वाजपेयी को जिम्मेदार बताया गया है।

संभवत: यह पहला मामला होगा जब किसी सरकार ने किसी साहित्यकार के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की होगी। अशोक वाजपेयी की छवि भाजपा विरोधी की रही है और वह कई मंचों से भाजपा की नीतियों और राजनीतिक तौर—तरीकों का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष तर्कवादियों नरेंद्र दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या के बाद साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लौटा दिया था। (नीचे देखें अशोक वाजपेयी का पक्ष)

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस संस्कृति मंत्रालय द्वारा लिखे पत्र के हवाले से बताता है कि ललित कला अकादमी की संस्कृति मंत्रालय ने 2012—13 और 2014—15 के आंतरिक आॅडिट रिपोर्ट कराई।

मंत्रालय द्वारा कराए गए आॅडिट में पाया गया कि ललित कला अकादमी ने इन वर्षों में नियमों और प्रक्रियाओं का आमतौर पर उल्लंघन किया है। आॅडिट ने सुझाव दिया है कि नियमों और प्रक्रियाओं के विरूद्ध जिन व्यक्तियों और संस्थाओं को भुगतान किया गया है, वह वसूला जाए, साथ ही जिम्मेदारी तय की जाए कि यह किसकी लापरवाही से हुआ है।

गौरतलब है कि जब की यह आॅडिट रिपोर्ट है उस दौरान साहित्यकार अशोक वाजपेयी ललित कला अकादमी के चेयरमैन थे। संभवत: यही वजह है कि संस्कृति मंत्रालय ने विशेष तौर पर अशोक वाजपेयी का नाम रेखांकित किया है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि अशोक वाजपेयी के खिलाफ सरकारी निधि के दुरुपयोग और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने की शिकायतें मिली हैं। पत्र में बताया गया है कि उन्होंने कई कलाकारों को मुफ्त में गैलरी का इस्तेमाल करने दिया।

इसके अलावा वरिष्ठ कवि वाजपेयी पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर सरकारी यात्रा और आनंदायी यात्रा का घालमेल किया। ऐसे में संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने आदेश दिया कि सही और सटीक जांच के लिए इस मामले को सीबीआई को सुपुर्द कर दिया जाए।

क्या कहते हैं अशोक वाजपेयी

आप पर संस्कृति मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि ललित कला अकादमी का अध्यक्ष रहते आपने प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है?
मैं अभी मामले से पूरी तरह वाकिफ नहीं हूं, सरकार ने ऐसा क्यों किया नहीं पता। पर हां इस मामले को असाधारण जरूर कहूंगा। क्योंकि जैसा कहा जा रहा है शायद ही इससे पहले किसी सरकार ने किसी साहित्यकार के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की होगी।

बिना पैसा दिए कलाकारों को गैलरी देने के आरोप पर आपका क्या कहना है?
मुझे ऐसा ज्ञात नहीं है कि मैंने कोई ऐसी कार्रवाई की हो। हां की होगी तो उन कलाकारों के मामले में की होगी, जिन कलाकारों के पास आवश्यक संसाधन नहीं हैं लेकिन प्रतिभा है। या फिर कोई निर्बल, विकलांग कलाकार हों। मुझे हालांकि ठीक—ठीक याद भी नहीं है, क्योंकि गैलरी देने का काम मैं नहीं, सचिव करते थे।

आपकी छवि भाजपा विरोधी रही है और सत्ता में अभी भाजपा ही है, तो आपको नहीं लगता कि जान—बूझकर यह मामला उठाया गया होगा?
देखिए अभी तक तो मैं पूरी तरह से मामले से ही वाकिफ नहीं हूं। किसी ने मुझे बताया कि मैंने एयर इंडिया का टिकट लेने के बजाय ब्रिटिश एयरवेज का टिकट लिया। मैं जब ललित कला अकादमी का अध्यक्ष था तब ललित कला या भारत सरकार का मुलाजिम नहीं था। मैंने तो उन सुविधाओं का उपभोग तक नहीं किया जो ललित कला का अध्यक्ष होने के नाते मुझे उपलब्ध थीं। मकान का किराया, कार, टेलीफोन बिल जैसी सुविधाएं मुझे ललित कला से मिलती थीं, मगर मैंने ये नहीं लीं। अगर मैं ये सब लेता तो मुझे तकरीबन 16—17 लाख रुपए ललित कला से मिलते। ये अध्यक्ष होने के नाते मेरा हक था, मगर मुझे लगा जब मेरे पास पहले से सब उपलब्ध है तो मैं क्यों जनता का पैसा बर्बाद करूं।

हेराफेरी के आरोप पर आपका क्या कहना है?
मुझ पर हेराफेरी का आरोप है, जबकि 35 साल तक आईएएस अधिकारी रहते कभी ऐसा आरोप नहीं लगा। जहां पोस्टिंग रही वहां और पार्टियों के अलावा भाजपा की सरकारें भी रहीं, मगर ऐसा आरोप पहली बार लगा है।

इसकी वजह ये तो नहीं कि आप मंचों से खुलेआम सरकारों खासकर भाजपा की नीतियों के खिलाफ बोलते हैं?
हां ये हो सकता है, लेकिन मैं अभी इसकी कोई अटकल नहीं लगा रहा, जब तक कि मुझे ठीक—ठीक पता न लगे कि मामला क्या है और कोई मुझसे पूछे न कि आरोप क्या है। अभी तक तो सीधे मुझसे किसी ने कुछ पूछा नहीं, न ही लिखित में ही मेरे पास कुछ भेजा गया है।

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