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समाज

सरकारी अस्पताल ने मरीज की जान की कीमत लगाई मात्र 275 रुपये

Janjwar Team
31 Dec 2017 11:17 AM GMT
सरकारी अस्पताल ने मरीज की जान की कीमत लगाई मात्र 275 रुपये
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पति द्वारा छाती में चाकू मारने से घायल महिला को सरकारी अस्पताल में नहीं किया गया भर्ती, अस्पताल की फीस भरने के लिए महिला के पास नहीं थे 275 रुपए

मौके पर घटना की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों ने रुपए जमा किए तो शुरू किया गया मरीज महिला का इलाज, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सरकारी तो क्या प्राइवेट अस्पतालों में तक घायल का इलाज नहीं रोक सकते....

हरियाणा के फतेहाबाद से जिंतेंद्र मोगा की रिपोर्ट

अब तक बिना पैसों के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं किए जाने के मामले आपने सुने होंगे, लेकिन हरियाणा की खट्टर सरकार के राज में फतेहाबाद में सरकारी अस्पताल में पैसे नहीं होने पर एक महिला मरीज का इलाज नहीं किए जाने का मामला सामने आया है।

फतेहाबाद के सरकारी अस्पताल में एक महिला मरीज की जान की कीमत मात्र 275 रुपये आंकी गई। अस्पताल में मात्र 275 रुपये की सरकारी फीस जमा नहीं होने पर ड्यूटी डॉक्टर और स्टाफ ने मरीज को इमरजेंसी वार्ड के बैड पर पड़े रहने दिया।

दरअसल, संतोष नाम की एक महिला को घरेलू झगड़े में उसके पति ने छाती में चाकू मार दिया था और उसके बाद महिला को किसी ने अस्पताल पहुंचाया। इस घटना की कवरेज करने के लिए कुछ पत्रकार जब अस्पताल पहुंचे और महिला का इलाज फीस जमा नहीं होने की जानकारी हुई तो पत्रकारों ने अस्पताल स्टाफ को 275 रुपये की सरकारी फीस जमा करवाई।

फीस जमा होने के बाद संतोष की एमएलआर काटी गई और उसे ड्रिप लगा लगाकर इलाज शुरू किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए जब पत्रकारों ने ड्यूटी डॉक्टर से पैसे न होने पर महिला का इलाज प्रभावित करने पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो ड्यूटी डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आए।

यहां तक कि मीडिया के कैमरे पर ड्यूटी डॉक्टर ने कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद तुरंत स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई तो अधिकारियों ने जांच कर मामले में उचित कार्रवाई की बात कही।

कल 30 दिसंबर की सुबह इस मामले में सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. ओपी देहमीवाल ने मीडिया के सामने आकर कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और यदि ड्यूटी डॉक्टर या किसी स्टाफ की लापरवाही इस मामले में सामने आती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

फतेहाबाद के सिविल अस्पताल में हुए इस पूरे वाकया की बात की जाए तो संतोष नाम की एक महिला के मुताबिक उसके पति ने उसे शराब के नशे में झगड़ा करते हुए छाती में चाकू मार दिया था।

जानकारी के मुताबिक महिला भट्टू इलाके की रहने वाली थी और उसे पहले भट्टू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया, लेकिन यहां से महिला को फतेहाबाद के सिविल अस्पताल में भेज दिया गया। सिविल अस्पताल में जब महिला पहुंची तो यहां पर तैनात ड्यूटी डॉक्टर कुलदीप ने अस्पताल की सरकारी फीस जमा करवाने के लिए कहा।

बाद में स्टाफ की ओर से डॉक्टर को जानकारी दी गई कि महिला के साथ उसका कोई परिजन मौजूद नहीं है और महिला के पास पैसे नहीं है। इस पर डॉक्टर ने महिला को इमरजेंसी वार्ड के बैड पर भेज दिया और उसकी कोई सुध नहीं ली। घटना की कवरेज करने कुछ पत्रकार अस्पताल पहुंचे तो फीस जमा नहीं होने पर महिला का इलाज न होने की जानकारी मिली। इस पर पत्रकारों ने इमरजेंसी वार्ड की स्टाफ को महिला की एमएलआर काटने और अन्य जरूरी फीस जमा करवाई और उसके बाद घायल महिला का इलाज शुरू किया गया।

प्राथमिक उपचार के बाद महिला की हालत गंभीर होने पर उसे सिविल अस्पताल से हिसार के अग्रोहा मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया। अस्पताल में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने अस्पताल में ड्यूटी डॉक्टर व स्टाफ के इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस रवैये पर हैरानी जताते हुए बताया कि महिला का इलाज रोका गया वह भी मात्र ₹275 कि एक मामूली फीस के लिए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी स्पष्ट गाइडलाइन है कि सरकारी ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी किसी भी घायल का इलाज पैसे के अभाव में रोका जाना गलत है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अस्पतालों मैं प्राथमिक तौर पर किसी भी मरीज का इलाज पैसे के अभाव में डॉक्टर नहीं रोक सकते। अब देखना होगा कि फतेहाबाद के सरकारी अस्पताल में सामने आए इस वाकया पर हरियाणा सरकार क्या एक्शन लेती है।

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