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सिक्योरिटी

अगर आपका बच्चा है लर्निंग डिसेबिलिटी का शिकार तो घबराएं मत

Janjwar Team
16 Aug 2017 1:46 PM GMT
अगर आपका बच्चा है लर्निंग डिसेबिलिटी का शिकार तो घबराएं मत
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होम्योपैथी में है लर्निंग डिसेबिलिटी का सफल इलाज

कभी-कभी व्यवहारगत समस्यायें असल समस्या को छिपा देती हैं। सीखने की अक्षमता में धैर्यपूर्वक उपचार कराना आवश्यक है। निश्चित रूप से चुनी हुई होम्योपैथिक औषधि आपके बच्चे की सीखने की अक्षमता को दुरूस्त करने में सहयोगी हो सकती है...

डॉ. अनिरूद्ध वर्मा, एमडी

स्कूल खुल गये हैं, अभिभावक अपने बच्चे की पढ़ाई लिखाई के लिये चिन्तित हैं, इस चिन्ता के बीच कहीं आपको ऐसा तो नहीं लगता कि आपका बच्चा पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगाता। आपके बार-बार कहने के बावजूद बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है और खेलने में ज्यादा लगा रहता है। आपको लगता है कि उसकी इस संगत के चलते उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है अगर ऐसा है तो आपको परेशान और चिन्तित होने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है, क्योंकि इस प्रकार की परेशानियों को दूर करने के लिए होम्योपैथी कारगर साबित हो सकती है।

होम्योपैथी में ऐसी अनेक दवाएं हैं जो आप के बच्चे की पढ़ाई-लिखाई को दुरूस्त कर सकती हैं और आपके बच्चे के भविष्य को संवार सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि होम्योपैथिक दवाओं का बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पड़ता है और बच्चा होम्योपैथी की मीठी गोलियों को आसानी से खा लेता है।

बच्चों की सीखने की अक्षमता को चिकित्सकीय भाषा में लर्निंग डिसेबिलिटी और सामान्य भाषा में सीखने की अक्षमता कहते हैं। इस समस्या से देश में लगभग 10 प्रतिशत बच्चे ग्रसित हैं, इसके अलावा लगभग 15 प्रतिशत बच्चों में स्कूल में कमजोर होने का कारण बताकर उन्हें मेहनत करने की हिदायत दी जाती है। शैक्षणिक अक्षमताओं के कारण बहुत स्पष्ट नहीं है परन्तु संभावित कारणों में तंत्रिका तंत्र के क्षीण होने के साथ-साथ अनेक और कारण भी है जैसे-

आनुवांशिक- सीखने की कमी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है।

गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान- मस्तिष्क के अल्प विकसित होने, बीमारी, चोट, अंग्रेजी दवाओं का उपयोग, शराब का सेवन, कम वजन के बच्चे का जन्म, कम आॅक्सीजन, समय से पूर्व बच्चों के जन्म होना या प्रसव में ज्यादा समय लगना।

जन्म के बाद बच्चे का दुर्घटना के कारण सिर में चोट, कुपोषण, पर्यावरण प्रदूषण एवं विषैले पदार्थों का कुप्रभाव भी सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है।

बच्चे में उत्पन्न होने वाली शैक्षिक अक्षमताएं

मस्तिष्क में सूचना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कमी अनेक प्रकार की सीखने की क्षमता उत्पन्न करती है।

1. पढ़ाई में अक्षमता के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
2. लिखने में अक्षमता।
3. गणित लगाने में कमजोर।
4. डिस्लेक्सिया।
5. बोलने एवं सुनने की विसंगतियां
6. याद्दाश्त में कमी, सामाजिक बुद्धि एवं प्रबन्धन और समय के प्रबन्धन में कमी आदि।
पढ़ने की अक्षमता।

बच्चे की पढ़ने की अक्षमता उसकी उम्र, शिक्षा, बुद्धिमता से कम होना यह सामान्य समस्या है जो बच्चे के स्कूल के प्रदर्शन में समस्या उत्पन्न करती है। लगभग 15 प्रतिशत स्कूली छात्रों को इस समस्या के सम्बन्ध में लगातार हिदायतें दी जाती रहती हैं। लगभग 1.5 प्रतिशत बच्चों को लगातार यह शिकायत रहती है।

कैसे पहचानें

1. शब्दों के चयन, शब्दों के पर्यायवाची ढूंढ़ने, अक्षरों एवं चित्रों नाम जानने या हिचक होना।
2. शब्दों को समझने में कमजोरी।
3. धीमी एवं सही पढ़ाई का न होना। बच्चा क्या पढ़ रहा है यह न समझना, देखकर लिखने में भी स्पेलिंग का गलत होना।
4. बच्चा पढ़ने—लिखने से भागता है।
5. भाषा लिखने एवं समझने की समस्या।

गणित लगाने में अक्षमता

गणित लगाने, अंक जोड़ने, घटनो, गुणा करने, अंको को समझने, गणितीय सोच को समझने में एवं सीखने में परेशानी, गणितीय सूत्र को समझने एवं लिखी हुई चिजों को परिवर्तित करने में परेशानी।

लिखने में अक्षमता- स्पेलिंग में गलती, व्याकरण एवं शब्दों को व्यवस्थित करने में गलतियां, शब्दों की रचना में दिक्कत, शब्दों को सही स्थान पर रखने, सही पैराग्राफ बनाने में परेशानी, स्कूल में खराब प्रदर्शन।

शैक्षिक अक्षमता का बच्चों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव

बच्चों में शैक्षिक अक्षमता के कारण मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जिससे उनमें निराशा, गुस्सा, स्कूल में लगातार असफलता से हताशा, खराब हस्तलिपि एवं पढ़ने में कमजोरी के कारण शर्मिंदगी का एहसास, तनाव एवं अवसाद आदि उत्पन्न हो सकते हैं।

क्या करें : जब बच्चों में सीखने की अक्षमता हो तो सबसे पहले बच्चे के चिकित्सीय इतिहास, सामाजिक स्थिति एवं स्कूल में प्रदर्शन का इतिहास जानना आवश्यक है।

कैसे करें समस्या का समाधान

— इस समस्या के समाधान के लिये के लिए विशेष तकनीकों से शैक्षिक इनपुट, काउंसलिंग एवं असिसमेंट से मनोवैज्ञानिक सहयोग लिया जाना चाहिए।
— शैक्षिक प्लान छात्र की जरूरत के अनुसार बनाना।
— बच्चे को बुद्धि के खेल के माध्यम से उन्नत करना चाहिए।
— बच्चे को प्रसन्नता एवं पुरस्कार से प्रोत्साहित करना चाहिए।
— बच्चे को मजबूती प्रदान कर उसकी इच्छाशक्ति एवं योग्यता को बढ़ाना चाहिए।
— इस प्रकार के बच्चों की निन्दा एवं तिरस्कार न करें।

होम्योपैथिक उपचार

बच्चे के होम्योपैथिक उपचार के पूर्व बच्चों की चिकित्सीय इतिहास, सामाजिक स्थिति एवं स्कूल में प्रदर्शन का इतिहास जानना आवश्यक है। दृष्टि एवं सुनने की कठिनाई की जड़ को जानना एवं शारीरिक एवं तांत्रिका तंत्र का परीक्षण आवश्यक है। बच्चे के मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक स्तर को समझने के पश्चात सुविचारित होम्योपैथिक औषधि चयन के पश्चात प्रबन्धन सम्भव है।

कभी-कभी व्यवहारगत समस्यायें असल समस्या को छिपा देती हैं। सीखने की अक्षमता में धैर्यपूर्वक उपचार कराना आवश्यक है। निश्चित रूप से चुनी हुई होम्योपैथिक औषधि आपके बच्चे की सीखने की अक्षमता को दुरूस्त करने में सहयोगी हो सकती है।

सीखने की अक्षमता में प्रयोग होने वाली औषधियों में मेडोराइनम, लाइकोपोडियम, नैट्रम म्योर, कैलकेरिया फाॅस, नक्स वोमिका, कैल्केरिया आयोड, थूजा, साइलिसिया, लैक कैनाइनम आदि प्रमुख हैं। सीखने की अक्षमता से ग्रसित बच्चे के सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर ही सही औषधि का चयन किया जा सकता है। परन्तु ध्यान रहे कि इस समस्या की समाधान के लिये चिकित्सक के सलाह पर ही औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।

(लेखक जाने—माने होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।)

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