Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

'कांग्रेस चाहती तो नहीं गिरती बाबरी मस्जिद '

Janjwar Team
2 Oct 2017 8:29 AM GMT
कांग्रेस चाहती तो नहीं गिरती बाबरी मस्जिद
x

पीवी नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता माखनलाल फोतेदार का चार दिन पहले 28 सितंबर को निधन हो गया। मूल रूप से कश्मीरी फोतेदार 1950 में राजनीति में आए थे। इंदिरा गांधी के राजनीतिक सचिव रहे फोतेदार कांग्रेस के मजबूत स्तंभों में रहे हैं।

बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार से इस्तीफा देने वाले कैबिनेट मंत्री माखनलाल फोतेदार से अजय प्रकाश की हुई बातचीत को यहां फिर से श्रद्धांजलि स्वरूप दे रहे हैं, जिससे पाठक समझ सकें कि फोतेदार का किस तरह का राजनीतिक महत्व था।

बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड की जांच कर रहे लिब्रहान आयोग ने कभी आपको गवाह के तौर पर बुलाया?
सत्रह वर्षों की जांच प्रक्रिया के दौरान आयोग ने अगर एक दफा भी मुझे बुलाया होता तो रिपोर्ट में यह जानकारी सार्वजनिक हुई होती। उन्होंने क्यों नहीं बुलाया यह बताने में मेरी दिलचस्पी नहीं है। मैं इतना भर कह सकता हूं कि अगर कोई बात इस संदर्भ में आयोग ने हमसे की होती तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जो सुघड़ चेहरा रिपोर्ट पेश होने के बाद देश के सामने उजागर हुआ है, वह सबसे अधिक दागदार होता।

आप मानते हैं कि संघ और भाजपा विध्वंस के लिए जितने जिम्मेदार हैं उससे कतई कम दोषी केंद्र में सत्तासीन मौजूदा कांग्रेस सरकार नहीं है?
मैं तुलनात्मक रूप से विध्वंस की जिम्मेदारी केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार पर तो नहीं डालता, लेकिन मानता हूं कि राव और कांग्रेस सरकार चाहती तो वो धार्मिक उन्माद टाला जा सकता था जिसकी वजह से मस्जिद टूटी और देश एक बार फिर आजादी के बाद दूसरी बार इतने बड़े स्तर पर सांप्रदायिक धड़ों में बंट गया।

नरसिम्हा राव कैसे टाल सकते थे?
राव से हमने जून में ही कहा था कि जो लोग इस बलवे का माहौल बना रहे हैं,उनसे आप शीघ्र बात कीजिए। मेरा जाती तजुर्बा है कि ये मसले कोई भी अदालत तय नहीं कर सकती। यह बात चूंकि मैंने कैबिनेट में कही थी इसलिए उन्होंने मान ली। लेकिन दूसरे ही दिन मेरी अनुपस्थिति में कई दौर की बैठकें चलीं और तय हो गया कि छह दिसंबर तक कुछ भी नहीं करेंगे, जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता।

क्या नरसिम्हा राव को स्थिति बेकाबू होने का अंदाजा नहीं था?
अंदाजा क्यों नहीं था। मैं नवंबर में उत्तर प्रदेश के दौरे पर गया था। साथ में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी भी थे। पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पांच जिलों में जलसे किये। गोरखपुर से लेकर गाजियाबाद तक मुस्लिमों के बीच जो भय का माहौल दिखा वह हैरत में डालने वाला था। हमारे साथी और कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी ने एक चर्चा के दौरान मुझे बताया कि कल्याण सिंह का मेरे घर के बगल में एक घर है। वहां जोर-शोर से रंगाई-पुताई का काम चल रहा है और सभी कह रहे हैं कि जैसे ही 6 दिसंबर को मस्जिद टूटेगी, वे इस्तीफा यहीं बैठकर देंगे। नारायण दत्त ने जोर देकर कहा कि मैं कई बार राव साहब से कह चुका, जरा आप भी उनका ध्यान इन तैयारियों की तरफ दिलाइए। सुनने में ये बातें गप्प लग सकती हैं, लेकिन इस तरह की हर जानकारियों समेत वहां हो रहे हर महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी राव तक हर समय पहुंचायी।

यानी तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के इस्तीफे की तैयारी पहले से थी?
बिल्कुल। हमने यही बात तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव से भी कही कि कल्याण सिंह इस्तीफा लेकर बैठे हुए हैं ,वह सिर्फ मस्जिद ढहने के इंतजार में हैं। अगर अपने चाल में वे कामयाब होने के बाद इस्तीफा सौंपते तो सिवाय अफसोस और दंश झेलने के हमारे मुल्क के पास क्या बचेगा।

कांग्रेस सरकार को इस तैयारी की जानकारी कितने महीने पहले से थी?
बाकी की तो छोड़िए, 6 दिसंबर को ग्यारह बजे दिन में मेरे पास एक वकील दोस्त का फोन आया कि पहली गुंबद कारसेवकों ने ढहा दी है। उसके ठीक बाद प्रेस ट्रस्ट के विशेष संवाददाता हरिहर स्वरूप का फोन आया कि कारसेवक मस्जिद में घुसने लगे हैं। फिर मैंने तत्काल नरसिम्हा राव से बात की और कहा कि जो हमने पहले कहा, वह तो हो नहीं पाया लेकिन अब भी समय है कि सरकार को तुरंत बर्खास्त कर हथियारबंद फौंजें तैनात कर दीजिए। अभी सिर्फ एक ही गुंबद टूटा है। हम मस्जिद को बचा ले गये तो भविष्य हमें इस रूप में याद रखेगा कि एक लोकतांत्रिक सरकार ने हर कौम को बचाने की कोशिश की।

शायद आप उस दिन इस सिलसिले में राष्ट्रपति से भी मिले थे?
जब साफ़ हो गया कि प्रधानमंत्री कान नहीं दे रहे हैं तो तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा से मैं साढे़ पांच बजे शाम को मिलने गया। मैं उनसे कुछ कहता, उससे पहले ही वे बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगे। बातचीत में उन्होंने बताया कि अभी राज्यपाल आये थे लेकिन वे बता रहे थे कि नरसिम्हा राव ने उन्हें निर्देश दिया है कि वह तब तक बर्खास्तगी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को न भेजें जब तक वे नहीं कहते। इसी बीच राष्ट्रपति के पास संदेश आया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

बहरहाल शाम छह बजे कैबिनेट की आकस्मिक बैठक में मुझे पता चला कि मस्जिद गिरा दिये जाने के अपराध में कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त किया जा रहा है। तब मैंने कहा कि उसने अपना काम पूरा करके सरकार के मुंह पर इस्तीफा फेंक दिया है।

तत्कालीन नरसिम्हा राव कैबिनेट में और कौन मंत्री थे, जिन्होंने आपका बाबरी मस्जिद मसले पर आपका साथ दिया था?
नाम मैं किसी का नहीं ले सकता। मगर इतना तो था ही जब कभी भी मैंने यह मसला कैबिनेट के बीच या मंत्रियों से आपसी बातचीत में लाया तो किसी ने कभी विरोध नहीं किया।

नरसिम्हा राव की भूमिका का जो सच इतना बेपर्द रहा है,वह जांच करने वाले कमीशन लिब्रहान को क्यों नहीं सूझा?
मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि यह आयोग नरसिम्हा राव की संदिग्ध भूमिका को झुठला नहीं सकता।

कहा जा रहा है कि कभी कांग्रेस नेतृत्व के साथ बैठने वाले फोतेदार हाशिये पर हैं। इसलिए नरसिम्हा राव पर आपकी बयानबाजी राजनीतिक लाभ की जुगत भर है?
अगर इस जुगत से समाज के सामने एक सच खुलता है तो हमें कहने वालों की कोई परवाह नहीं है।


(यह साक्षात्कार पब्लिक एजेंडा पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। अभी यह इसलिए क्योंकि उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव सरकार में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।)

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध