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जनज्वार विशेष

मेरे घर वाले नौकरी नहीं करने देते कि मैं किसी के साथ भाग जाउंगी

Janjwar Team
7 Feb 2018 4:01 PM GMT
मेरे घर वाले नौकरी नहीं करने देते कि मैं किसी के साथ भाग जाउंगी
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जयेश को बीवी नहीं एक वेश्या और नौकरानी की जरूरत थी, जो रात को उसके सेक्स की भूख को मिटाए और दिन में घर भर के सारे काम करे, वो भी बिना चूं किए...

हाउस वाइफ में इस बार उत्तराखण्ड के रुद्रपुर की नित्या तिवारी की कहानी

नित्या ने सिजेरियन एक बहुत ही खूबसूरत और स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था, मगर खुशी उसके चेहरे पर कहीं नजर नहीं आ रही थी। तकरीबन 26—27 साल की नित्या को बच्चे के जन्म के बाद भी खुशी क्यों नहीं मिल रही होगी, यह समझ में नहीं आ रहा था। क्योंकि उसके आसपास जो भी लोग मौजूद थे, वे बच्चे के जन्म से बहुत खुश थे।

आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद खासतौर पर एक लड़के को जन्म देकर मां अपने को भाग्यशाली मानने के साथ खुशी से फूली नहीं समाती है, मगर नित्या को कोई दुख था जो खाए जा रहा था।

नित्या के आसपास जो लोग मौजूद थे वे उसके ससुराली नहीं बल्कि मायके वाले थे। उसने मायके में ही अपने बच्चे को जन्म दिया था। सास—ससुर, देवर—जेठ, ननदों का भरा—पूरा परिवार होने के बावजूद इन खुशियों की घड़ियों में उसके साथ कोई मौजूद नहीं था।

उसकी शादी दो साल पहले हुई थी, उसके पति समेत पूरा परिवार दिल्ली के पालम इलाके में रहता है। बाहर से देखने में वह एक बहुत ही खुशहाल परिवार था, जैसे परिवार की कल्पना कोई भी बाप अपनी बेटी के लिए करता है। एमबीए पति, सरकारी नौकरी से रिटायर ससुर, पढ़ी लिखी दो नौकरी करने वाली शादीशुदा ननदें, जेठ—जेठानी। हालांकि जेठ—जेठानी थोड़ी दूरी पर अलग मकान लेकर रहते थे और कहने को ननदों का घर भी उसी मोहल्ले में था मगर अकसर मायके में रहती थीं।

खुले माहौल और विचारों की नित्या को शादी के बाद से ही वो घर कुछ अजीब सा लगा। वो कभी महसूस ही नहीं कर पाई कि यह उसका घर है। सास हर बात में कमियां निकालतीं, हर बात के लिए उसे टोका जाता। सुबह छह बजे से नित्या घर के कामों में लग जाती। दो शादीशुदा ननदों का टिफिन भी वहीं से बनकर जाता तो पति जयेश की हर रोज खाने के लिए नई फरमाइशें होतीं।

शादी से पहले 10 साल तक नित्या स्कूल में बतौर अध्यापिका पढ़ा चुकी थी। घर के अजीब वातावरण को देख जब नित्या को लगा कि उसे ऐसे माहौल में अरजेस्ट करने में दिक्कत हो रही है तो उसने अपने पति जयेश से कहा कि वह दोबारा से टीचिंग करना चाहती है। जयेश से उससे कुछ नहीं कहा। मना भी नहीं किया, मगर जाकर यह बात मां को बता दी।

मां ने कहा हमारे घर की औरतें काम के लिए घर की दहलीज नहीं लांघती, तुम कभी सोचना भी मत कि काम करोगी। अच्छा—खासा प्रतिष्ठित परिवार है हमारा, नाक कटवाओगी क्या, लोग क्या कहेंगे बहू की कमाई खा रहा है ये परिवार। ससुर ने भी सास की हां में हां मिलाई और पति ने साफ तौर पर आॅर्डर दे दिया कि वह नौकरी के बारे में सपने में भी न सोचे।

सास इतने पर ही नहीं रुकी, कहा कामचोर है तुम्हारी बीवी, घर का काम करने में जान जाती है इसकी, इसलिए घर से बाहर निकल गुलछर्रे उड़ाना चाहती है। वैसे भी शादी से पहले खूब ऐश की होगी, हमारे घर में ये सब नहीं चलेगा। नौकरी तो सिर्फ बहाना है, यह घटना शादी के मात्र 15 दिन बाद की है।

नित्या को लगा शायद वक्त के साथ सबकुछ ठीक हो जाएगा, मगर दिन—ब—दिन उसके साथ और बुरा व्यवहार होने लगा। हर बात पर उसे सुनाया जाता कि जयेश जैसा लड़का मिल गया, बड़ी किस्मत वाली हो। और तुम्हारा बाप कितना कंजूस था कि जयेश को चारपहिया गाड़ी तक न दी। हमारे पास पता नहीं कितने रिश्ते आ रहे थे, मगर हम पता नहीं तुम्हारे बाप के झांसे में आ गए। इज्जत तक नहीं रखी हमारे बेटे के स्टेटस की।

बात—बात पर कभी खाने को लेकर तो कभी और कामों को लेकर उसे खरी—खोटी सुनाई जाती। कभी कहा जाता कि घर का हमारे स्टैंडर्ड का सामान नहीं दिया तो कभी और चीजों को लेकर मीनमेख निकाली जाती। नित्या का मन करता कि वह उनका मुंहतोड़ जवाब दे कि हम तुम्हारे घर रिश्ता लेकर नहीं आए थे, तुम खुद ही पीछे पड़े थे कि अपनी बेटी हमारे घर ब्याह दो, मगर फिर पिता की इज्जत को सोचकर चुप रह जाती।

तनावपूर्ण माहौल से निकलने के लिए एक बार फिर नित्या ने नौकरी के लिए पति को मनाने की कोशिश की, मगर इस बार भी जयेश ने साफ कह दिया कि मेरी मां की मर्जी के बिना कुछ नहीं होगा और सास ने जो कहा, उस सुनकर भौंचक्क रह गई। बोलीं, जयेश से मन नहीं भर रहा जो बाहर निकलना चाहती हो। उनकी बातों से यह लगता था, जैसे अगर नित्या घर से बाहर नौकरी के लिए निकलेगी तो किसी के साथ भाग जायेगी। फिर कभी नित्या की हिम्मत ही नहीं पड़ी कि नौकरी को लेकर कभी बात कर पाए।

जयेश मां—बाप की परमिशन के बिना टस से मस तक न होता। नित्या को मां—बाप की इजाजत के बगैर बाजार तक नहीं ले जाता। शादी के 4 महीने तक तो नित्या घर से बाहर भी नहीं निकली।

शादी के चार—पांच महीने बाद नित्या गर्भवती हो गई। शुरुआती दो महीनों में तो सास ने न डॉक्टर से जांच कराने दी और न ही उसकी किसी तरह से देखभाल की। जयेश उसकी बात एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देता। ऐसा लगता उसे बीवी नहीं एक वेश्या और नौकरानी की जरूरत थी, जो रात को उसके सेक्स की भूख को मिटाए और दिन में घर भर के सारे काम करे। नित्या की सहनशक्ति जवाब दे रही थी और एक दिन फोन पर ये बात अपनी मां को बता दी।

जब नित्या की मां ने उसकी सास से कहा कि आप प्लीज नित्या को डॉक्टर को दिखा दो तो वो इस बात से ही मुकर गई कि उसे इस बात की जानकारी भी है कि नित्या पेट से है। उसने कहा नित्या ने तो बताया ही नहीं कि वह गर्भवती है, हमसे ज्यादा इस बात की खुशी किसे होगी, वह तो हमारा वंश आगे बढ़ायेगी। हां, इसके बाद इतना जरूर हुआ कि उसकी सास उसे डॉक्टर के पास ले गई, मगर खूब खरी—खोटी भी सुनाई।

नित्या इस बीच कुछ भी नहीं खा पा रही थी, उसे हमेशा उल्टियां होती, जिस कारण पहले से ही दुबली—पतली नित्या और कमजोर होती जा रही थी। डॉक्टर ने सख्त निर्देश दिया कि अगर मां—बच्चा दोनों को ठीकठाक रखना चाहते हो तो नित्या को कंपलीट बेड रेस्ट करना होगा। सास ने डॉक्टर से तो कुछ नहीं कहा, मगर घर आकर नित्या को ताने देने शुरू कर दिए। कहा कि तुझी ने डॉक्टर से कुछ कहा होगा, कौन ऐसी औरत है जिसे गर्भवती होने के बाद बेडरेस्ट को बोला जाता है। कामचोर हो तुम, एक हम थे 4—4 बच्चों को जन्म देने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा।

नित्या को किसी भी तरह का आराम नहीं करने दिया गया, ऊपर से हर रात जयेश को सेक्स भूख जरूर मिटानी होती थी। बिना खाए—पीए नित्या घर का सारा काम करती। इन्हीं हालातों में 3 महीने में उसका गर्भपात हो गया। जयेश ने बजाए उससे सहानुभूति जताने के कहा यह तो होता रहता है, दोबारा प्रेग्नेंट हो जाओगी। सास के लिए भी यह मामूली घटना थी, मगर नित्या अंदर ही अंदर घुट रही थी। गर्भपात के एक हफ्ते बाद से जयेश ने दोबारा उससे सेक्सुअल रिलेशन बनाने शुरू कर दिए। सहानुभूति का एक बोल तक न बोला।

गर्भपात के बाद नित्या डिप्रेशन में रहने लगी। इस घटना के 3—4 महीने बाद राखी का त्यौहार आया तो सास के मना करने के बाद भी जिद से उसका भाई उसे मायके ले गया। पहली बार मायके गई नित्या का टिकट जयेश ने राखी के दूसरे दिन का कटवा दिया, इस निर्देश के साथ कि 15 दिन मायके में रहना बहुत होता है।

मायके में रहने के दौरान ही नित्या को पता लगा कि वह फिर से गर्भवती है। यह बात उसकी मां ने जब नित्या के ससुराल में बताई तो बजाय खुशी कि सास ने ताना दिया कि तुम्हारी बेटी बच्चा पैदा कर पाएगी इसमें शक ही है। डॉक्टर ने फिर इस बार नित्या को कंप्लीट बेड रेस्ट की सलाह दी। उधर जयेश लगातार उस पर दबाव बना रहा था कि वह जल्दी से वापस दिल्ली लौट आए। मगर इस बार नित्या कुछ निर्णय ले चुकी थी।

उसने अपनी मां से कहा कि वह अपने इस बच्चे को मायके में ही जन्म देना चाहती है। जयेश से उसने साफ—साफ मना कर दिया कि वह इस अवस्था में मां के पास ही रहेगी, क्योंकि उसे कम्प्लीट बेड रेस्ट करना है ताकि बच्चा ठीक—ठाक रह सके।

प्रेगनेंसी में नित्या के मायके में रहने की बात सुनकर जयेश उसे तलाक तक की धमकी देने लगा, मगर नित्या ने एक न सुनी और मायके में ही बच्चे को जन्म दिया। इस बीच जयेश और उसके संबंध जो कि सिर्फ शरीर तक ही सीमित थे उनमें काफी दूरी आ चुकी थी। जयेश गाली—गलौज से बात करता, मां—बहिन की गालियां देता।

अब जब नित्या मां बनी तो उसकी मां ने यह खुशखबरी उसके ससुराल में दी। बजाय खुशियों के जयेश ने जो कहा सुनकर नित्या को लगा कि जैसे किसी ने उसके कानों में गर्म शीशा पिघलाकर डाल दिया है। जयेश ने उसकी मां से कहा, कब क्रियाकर्म में आना है नित्या के, वह मरी नहीं अभी। नित्या के पेट से जो बच्चा हुआ है उसे मैं नहीं अपनाउंगा, मुझे पूरा यकीन है कि वो मेरा बच्चा नहीं है।

नित्या को जितनी तकलीफ जयेश के अभी तक के रुख से नहीं पहुंची थी, उससे कहीं ज्यादा तकलीफ इस बार हुई। मगर अब वो तय कर चुकी है कि जयेश के पास वापस नहीं लौटेगी। पढ़ी—लिखी नित्या के पास शादी से पहले का टीचिंग का अच्छा—खासा अनुभव है। अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित नित्या ने तय किया है कि वो दोबारा से पढ़ाना शुरू कर देगी और बेटे को भी ऐसे घर में नहीं ले जाएगी, जो यह भी नहीं मानता कि वह उनका खून भी है।?

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