Begin typing your search above and press return to search.
संस्कृति

भूल मत तू है औरत, तेरा हँसना मना है

Janjwar Team
18 Feb 2018 11:23 AM GMT
भूल मत तू है औरत, तेरा हँसना मना है
x

दार्जिलिंग में रहने वाली नेपाली भाषा की चर्चित कवि पवित्रा लामा की कविता 'हँसना मना है'

पवित्रा लामा वर्तमान दौर की नेपाली भाषा की बहुत ही चर्चित तथा लोकप्रिय कवि हैं। उनका कविता संग्रह 'सभ्यता की पेंडुलम' खासा चर्चित रहा है। मूल रूप से डुवार्स की पवित्रा की शादी दार्जीलिंग में हुई है। दार्जीलिंग में राजस्व भूमि अधिकारी पवित्रा नेपाली साहित्य में NBU से PG में टापर रही हैं। उनकी समकालीन विसंगतियों पर तीक्ष्ण आलोचना करती हुई कविताएँ ही नहीं अन्य लेख और रचनाएं भी भारत और नेपाल की पत्रिकाओं में समान रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। पवित्रा वर्तमान में अपने समकालीन लेखकों/कवियों की तुलना में चर्चित और अत्यंत मुखर हैं। इनकी कई अन्य कविताएं भी अत्यंत चर्चित रही हैं। नारीवादी दृष्टिकोण पर ही इनकी कविताएँ अधिक फोकस करती हैं। आइए पढ़ते हैं उनकी कविता 'हँसना मना है'— जनार्दन थापा

भूल मत
ए औरत!!
कि तू है औरत,
कि रिवाजों के पहाड़ों तले
दबना और दबे ही रहना है तुझे
कि नियमों के जंजीरों से
बँधना और बँधे ही रहना है तुझे
हँस मत ए औरत!!
यहाँ हँसना मना है।

कैसे भूल गई तू मनु के उवाचों को
शास्त्रों को, नियमों को, रिवाजों को?
कैसे भूल गई बाइबल के वचनों को
या कुरान की आयतों को?

जब भी तू बेबाक होकर हँसती है
तू फँसती है
लोग काट देते हैं तेरी ऊँची नाक
या खींच लेते हैं तेरी छाती से आँचल
या डाल देते हैं तेरी पैरों में बेड़ियाँ

भूल मत, तू है औरत
यहाँ तेरा हँसना मना है।

क्या हुआ कि तू भी है शरीर एक जिन्दा
क्या हुआ कि तू भी है खुदा का एक बन्दा
क्यों फड़फड़ाती है तू बँधे हुए डैनों को
भूल जा तू है एक आजाद परिन्दा।

पूछ मत कोई सवाल कि तेरा पूछना मना है
सोच मत कोई ख्याल कि तेरा सोचना मना है
सिमट जा बुर्के में, घूँघट में, परदे में
मत ले साँस कि तेरा जीना मना है।

भूल मत ए औरत!!
तेरा हँसना मना है।।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध