Begin typing your search above and press return to search.
संस्कृति

आसिफा मैं एक पिस्तौल खरीदूंगा

Janjwar Team
16 April 2018 1:55 PM GMT
आसिफा मैं एक पिस्तौल खरीदूंगा
x

कठुआ में हुए आसिफा गैंगरेप और उसके बाद नृशंस हत्या के आक्रोश में उपजी है रवि रोदन की यह कविता, जिसमें एक बाप अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक गुलरने को तैयार है...

कवि बिमला तुमखेवा

कि कविता "बेटी" पढ़ी

उस कविता मे बेटी होकर पैदा होने का गर्वबोध पढा।

बर्फ की चादर अाैर डिजिटल सपने

आसिफा!

भेड़ियों के बीच

तुम्हारी माँ तुम्हें बचा न सकी

तुम्हारे अब्बू तो छाती पीट—पीटकर

खूब बिलख रहे होंगे....?

मैं समझता था

रातें हिंसक होती हैं

पर यहाँ तो दिन मे बेटी के साथ चलना फिरना

खतरे से खाली नहीं

चार साल की छोटी बेटी अगर फ्राक पहन ले तो

हमारे देश के पुरुष लार टपकाते हैं

हर वक्त पुरुष गन्ध

हवाअों में दौड रही होती है

फूल की कलियों को नोचने।

जम्मू की आसिफा पर लिखी कविता हुई वायरल

हम अभी जिस समय में जी रहे हैं

वह सचमुच हिंसक है

ड्रगिस्ट समय है यह

जहाँ ईश्वर को बार बार

एक कोने मे रखकर चाकू से वार किया जाता है

अौर उसी के सामने निर्लज बनकर

कामुक्ता की सारे हदें तोड़ी जाती है।

संवेदना अौर चरित्र की नीलामी कर के

पुरुष दबंग ह‍ो चले हैं

इनके सिर में छातियों में

कौन गोली मारेगा...

न्यायधीशों की बेटियां हैं भी या नहीं???

इज्जत लूटकर ये पुरुषार्थ दिखानेवाला मर्द

खुलेअाम घुम रहे हैं शहरों में

मेरा देश बीमार है

आसिफा

मेरा देश सचमुच बीमार है।।

आसिफा!

तुमसे थोड़ी छोटी है मेरी बेटी

महज चार साल की

छ‍ोटी फ्रॉक पहनती है,

मां की लिपिस्टिक लगाती है

मां की सेंडल पहनती है

अौर खूब अाइना देखती है।

प्रधानमंत्री जी हत्यारे घूम रहे हैं!

मन में एक डर सा लगा रहता है

हर दिन हर रात

अब मैं एक पिस्तौल खरिदूंगा

तकिये के नीचे रखूंगा

अौर हर सुबह शाम उन दरिंदो को देखूंगा।

मैं हथियार क्य‍ों न उठाऊं...

मै अौजार क्यों न उठाऊं...

हिंसक जानवरों के बीच मेरी नन्ही बेटी बड़ी हो रही है

गांव में /चौक में /सड़कों पर/ शहर में

सब ओर

देश में बलात्कारी खुलकर घूम रहे हैं...

आसिफा

मुझे विश्वास नहीं है

तुम्हें न्याय मिलेगा भी या नहीं..

तुम्हें न्याय मिलने तक

कुछ अौर आसिफाओं की अस्मत न लुट जाए....

मैं ये सब होने से पहले

एक पिस्तौल खरीदूंगा...

(दार्जिलिंग में रहने वाले रवि रोदन की कविता 'प्रधानमंत्री जी हत्यारे घूम रहे हैं!'काफी पढ़ी गई थी। यह कविता उन्होंने गोर्खालैण्ड की मांग में शहीद हुए आंदोलनकारियों को समर्पित की थी।)

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध