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विमर्श

भ्रष्ट बाबाओं की संपत्ति हो राष्ट्रीय संपत्ति घोषित

Janjwar Team
26 Aug 2017 10:12 AM GMT
भ्रष्ट बाबाओं की संपत्ति हो राष्ट्रीय संपत्ति घोषित
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कानून बनाकर केवल राम रहीम की सम्पत्ति व धन-दौलत का ही नहीं बल्कि सभी मठों व बाबाओं की सम्पत्ति का भी राष्ट्रीयकरण कर देना चाहिये, लेकिन सरकार ने जेलों में बन्द बाबाओं की संपत्ति को छुआ तक नहीं है...

मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार

बाबा राम रहीम उस भारतीय राजनीति के लिए भस्मासुर साबित हुआ है जिस राजनीति ने पाल-पोसकर उसे यहां तक पहुंचाया था। राम रहीम के समर्थक संभाले से नहीं संभल रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व अन्य स्थानों पर फैली अराजकता से हर कोई सहमा हुआ है। बाबा राम रहीम के समर्थक अचानक आसमान से नहीं टपक पड़े हैं। इनकी पैदाइश उस गंदी भारतीय राजनीति की पैदाइश है जो देश में वर्षो-सदियों से जारी है।

देश में वैज्ञानिक शिक्षा का अभाव, अंधविश्वास व भारतीय राजसत्ता का समर्थन ऐसे भक्त-नागरिक पैदा कर रही है, जो कि इन ढोंगी बाबाओं को भगवान का रूप मानती है। और इन बाबाओ के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हो जाती है।

इस ढोंगी-बलात्कारी राम-रहीम को कांग्रेस ने वर्ष 2008 से जेड श्रेणी की सुरक्षा दी हुयी थी। इसके 5 करोड़ अनुयायियों के वोट लेने के लिए कांग्रेस-भाजपा के नेताओं से लेकर आप नेता अरविंद केजरीवाल तक इस बाबा के दरबार में हाजिरी बजाते रहे हैं। मायावती, मनोहर लाल खट्टर, राहुल गांधी सरीखे नेता डेरा में हाजिरी लगाने वालों की सूची में शामिल हैं।

हरियाणा के खेल मंत्री विज् ने पिछले वर्ष डेरा को खेलों के लिए 50 लाख रु. की सरकार की तरफ से सहायता प्रदान की थी। रामरहीम को 200 करोड़ से भी अधिक धन-दौलत का मालिक बताया जाता है। सरकार ने उसे इनकम टेक्स से भी छूट दी हुयी है।

अपने को सजा की सम्भावना देख राम रहीम ने अपने शिष्यों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए पंचकुला अदालत परिसर व दूसरे स्थानों पर जमावड़ा कर लिया था। राज्य सरकार की भी इस जमावड़े को पूरी शह थी। राज्य सरकार ने समय रहते उनको हटाने की कार्यवाही नहीं की, इसी का परिणाम है कि भारी संख्या में लोग मारे गये है व सम्पत्ति को भी नुकसान पहुंचा है।

बाबाओं के साथ भारतीय राजनीति का अटूट रिश्ता रहा है। तांत्रिक चन्दस्वामी को इंदिरा गांधी ने आश्रम के लिए दिल्ली में जगह उपलब्ध करायी थी। राजीव गांधी की हत्या में शामिल होने तथा करोड़ों रूपए के मनी लांड्रिंग घोटाले के आरोपी चन्द्रास्वामी के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव भी के अनुयायी थे।

बलात्कारी बाबा आशाराम बापू व प्रधानमंत्री मोदी की जुगलबंदी पूरे देश के सामने जगजाहिर है। समझौता एक्सप्रैस, हैदराबाद व अजमेर बम धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर व स्वामी असीमानन्द भाजपा सरकार की कृपा से जेल के बाहर आ चुके हैं।

भारत की राजसत्ता समाज से अंधविश्वास दूर करने व ज्ञान-विज्ञान के प्रसार के लिए कार्य करने वाले, कुलबुर्गी, डाभोलकर व गोविन्द पानसरे के हत्यारों को सुरक्षा व समर्थन देती है और इन ढोंगी बाबाओं को जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराती है।

जेड श्रेणी की सुरक्षा केवल रामरहीम को ही नहीं मिली हुयी थी। बाबा रामदेव, नामधारी सदगुरु उदय सिंह, स्वामी चक्रपणि, शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती, आसुतोष महाराज, आशाराम आदि सभी सरकारों द्वारा जेड श्रेणी की सुरक्षा से नवाजे गये हैं।

देश की सैकड़ों एकड़ भूमि पर काबिज यह बाबा भिक्षा मांगकर धर्म का प्रचार करने वाले बाबा नहीं हैं। इनका एम्पायर लाखों-करोड़ों का है। इनके पास काले धन की तो बात ही क्या, इनकी न. 1 की कानूनी सम्पत्ति भी बहुत ज्यादा है। इनके अनुयायी व कारोबार देश-विदेशों में फैला हुआ है।

बाबा रामदेव की धन-दौलत 11 हजार करोड़ से भी अधिक है। अपने को साध्वी बताने वाली माता अमृता आनन्दमयी की सम्पत्ति 1500 सौ करोड रु से भी अधिक है। श्रीश्री रविशंकर 1 हजार करोड़ से भी अधिक की दौलत के मालिक हैं। अपने को भगवान बताने वाले सत्य साईं बाबा, जिनकी 2011 में मृत्यु हो चकी है, की सम्पत्ति 40 हजार हजार करोड़ बतायी जाती है। मोरारी बापू 150 करोड के मालिक हैं।

हत्या के आरोप में जेल में बंद स्ंत रामपाल 100 करोड की सम्पत्ति का मालिक है।

बलात्कार की जेल में सजा काट रहे आसाराम के 425 आश्रम व 50 गुरुकुल हैं, उनकी सम्पति 1000 करोड रूपए बतायी जाती है। बलात्कार के आरोप में बंद स्वामी नित्यानंद 10 हजार करोड़ का मालिक हैं। स्वामी सदाचारी वेश्यालय चलाते हुए पकड़ा गया। स्वामी प्रेमानंद पर 13 नाबालिग लड़कियों से रेप आरोप है। इनके अपराधों की लम्बी फेरिस्त होने के बाबजूद भी सरकारी संरक्षण में, ये ढोंग-ढकोसले का करोबार देश में फल-फूल रहा है। टीवी व आधुनिक संचार माध्यमों ने इन बाबाओं की पकड़ को और मजबूत किया है।

सवाल यह है कि ज्ञान-विज्ञान के इस युग में इन ढोंगी बाबाओं को हमारे देश में कूपमंडूता फैलाने की छूट क्यों दी जा रही है। कब तक इस देश की करोड़-करोड़ जनता को अंधविश्वास के दलदल में धकेलकर कूपमंडूप बनाया जाता रहेगा। एक बलात्कारी बाबा की गिरफ्तारी हाने पर भी लोग उसे भगवान ही मानें और सड़कों पर उतरकर हिंसा करने लगें।

दरअसल हमारे देश की सरकार चाहती ही नहीं है कि जनता वैज्ञानिक शिक्षा से लैस हो तथा तर्कशील चिंतन करे। वह चाहती हैं कि लोग पिछड़े बने रहे और अपनी गरीबी-बेरोजगारी के लिए सरकार पर अंगुली उठाने की बजाए इसे भगवान की इच्छा मान लें और पिछले जन्मों का फल मान लें। इस तरह पूंजीपतियों का लूट-शोषण का साम्राज्य बना रहे।

जनता को अभी भी सूर्य व चन्द्रमा को ग्रह-उपग्रह बताने की जगह देवता बताया जाता है। ग्रहण लगने के वैज्ञानिक कारण बताए जाने की जगह इसका कारण राहु-केतु को बताया जाता है। शिक्षा व्यवस्था में भी वैज्ञानिक चिंतन बेहद सीमित है इस कारण पढ़े-लिखे लोग भी अंधविष्वासी बने रहते है।

आदमी के बीमार हाने पर अस्पताल व इलाज की व्यवस्था व्यापक आम जनता के लिऐ आसानी से मौजूद नहीं है। इस कारण आजादी 70 वर्ष बाद भी जनता का एक बड़ा हिस्सा इलाज के लिए ओझा-सोखा, टोने-टोटके पर निर्भर है। जनता का पिछड़ापन-गरीबी इन ढोंग-ढकोसलेवाज बाबाओं को चमात्कारी पुरुष के रूप में उर्वरा जमीन उपलब्ध कराता है।

कहते हैं जैसा राजा वैसी प्रजा। जब देश का प्रधानमंत्री चिकित्सकों के सम्मेलन में जाकर कूपमंडूपों जैसी बातें करेगा। बे सिर-पैर का विज्ञान धार्मिक पुस्तकों में ढूंढेगा। हाथी का सिर इंसान पर लगाने के मिथ् को प्राचीन भारत की प्लास्टिक सर्जरी व महाभारत में कर्ण के जन्म को जनेटिक सांइस से जोड़ देगा। तो ऐसे में देश की जनता भी वैसी ही हो सकती है जैसी इस समय पंजाब-हरियाण की सड़कों पर है। इस हिंसा की जिम्मेदारी इस अंधविश्वासी जनता से कहीं अधिक हमारे देश का सिस्टम चलाने वाले नेताओं की है जिसने जनता को ऐसा बनने पर मजबूर किया है।

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने 25 अगस्त को जारी हिंसा की भरपाई के लिए राम रहीम की सम्पति को जब्त करने के आदेश दिए हैं।

बात केवल हिंसा की भरपाई के लिए डेरा सच्चा सौदा की सम्पति की जब्ती तक ही सीमित नहीं रह सकती। इसे आगे बढकर देश के मठ-आश्रमों की सम्पत्ति के राष्ट्रीयकरण तक जाना चाहिए। क्योंकि इन बाबाओं के पास एकत्र धन दौलत उनकी मेहनत की कमाई नहीं है। इस दौलत पर जनता का अधिकार है। इसे देश की जनता के हित के लिए इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए।

कानून बनाकर केवल राम रहीम की सम्पत्ति व धन-दौलत का ही नहीं बल्कि सभी मठों व बाबाओं की सम्पत्ति का भी राष्ट्रीयकरण कर देना चाहिये। सरकार ने जेलों में बन्द बाबाओं की संपत्ति को छुआ तक नहीं है।

जरुरत है इनके मठों व आश्रमों में ज्ञान-विज्ञान अुसंधान केन्द्र व अस्पताल खोले जाएं। जिसमें आम लोगों का निशुल्क इलाज हो व जनता के बीच से अंधविश्वास व कूप मंडूपता का खात्मा हो। जनता को ढोंगी बाबाओं से मुक्त होकर वैज्ञानिक चेतना से लैस करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने की जरुरत है। यही तरीका है जिससे पंजाब, हरियाणा व अन्य जगहों पर जारी धार्मिक हिंसा की पुनरावृत्ति रुक सकती है।

यह काम सरकारें तो नहीं करेंगी, शुरुआत सभा जागरुक लोगों को मिल-जुलकर करनी होगी।

(मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार एवं सह संयोजक समाजवादी लोक मंच)

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