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शिक्षा

सेना भर्ती को पढ़ाई छोड़ी, पर क्या हुआ हासिल

Janjwar Team
9 Oct 2017 3:40 PM GMT
सेना भर्ती को पढ़ाई छोड़ी, पर क्या हुआ हासिल
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सेना भर्ती को पहुंचे युवाओं को आर्मी के जवान, पुलिसकर्मी ऐसे हांकते हैं, जैसे चरवाहा भेड़ों का झुंड हांकता है। हमारे पहाड़ों की ये बिडंबना रही है कि यहां के युवाओं के लिए सेना ही एकमात्र विकल्प बचता है...

हल्द्वानी से गणेश पांडे की रिपोर्ट

बागेश्वर जिले के बिलौना गांव निवासी मनमोहन पांडे के पिता नारायण दत्त पांडे पंडिताई का काम करते हैं। पंडिताई से आने वाली छोटी-मोटी दक्षिणा से घर का खर्च और दो बच्चों की पढ़ाई मुमकिन नहीं थी। लिहाजा मनमोहन ने 2012 में इंटरमीडिएट पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और सेना भर्ती की तैयारी में जुट गया।

मनमोहन के मन में एक ही सपना हिलोरे मारता कि सेना में भर्ती होकर परिवार का सहारा बनेगा। रविवार को मनमोहन का सपना तब टूट गया, जब चेस्ट एक सेमी कम होने से उसे भर्ती से बाहर होना पड़ा। मनमोहन ने बताया कि जिस सपने को साकार करने के लिए पिछले 8 माह से दिन-रात लगा था, वह एक पल में बिखर गया।

ये कहानी अकेले मनमोहन की नहीं है, पहाड़ों में सैकड़ों-हजारों मनमोहन बिखरे पड़े हैं। 17 से 21 वर्ष की आयु तक सेना भर्ती के लिए धक्के खाने वाले ये युवा जिंदगीभर अच्छे रोजगार के लिए धक्का खाते हैं। कभी इस शहर तो कभी उस शहर।

जेब खर्च के लिए डिश टीवी का काम करने वाले मनमोहन ने बताया कि अब तक चार भर्तियों में शामिल हो चुका है। हर जगह चेस्ट में मात खा गया। यह कहते हुए मनमोहन की आंखें भर आई। बोला, अब तो उम्र भी नहीं बची कि फिर एक कोशिश कर सकूं। मनमोहन की तरह दफौट गांव का कमल दफौटी की चेस्ट भी तय मानकों से 2 सेमी कम निकली। अब तक तीन भर्तियों में दफौटी ने दौड़ एक्सीलेंट निकाली है। वहीं, गौबाड़ी गांव के हेमंत कुमार ने दौड़ एक्सीलेंट निकाल ली, लेकिन बाद में लंबाई नापने में एक सेमी छोटे पड़ गए। दोनों ने कहा अगली भर्ती की तैयारी करेंगे।

भेड़ों सरीके हांके जाते हैं युवा
सेना भर्ती को पहुंचे युवाओं को आर्मी के जवान, पुलिसकर्मी ऐसे हांकते हैं, जैसे चरवाहा भेड़ों का झुंड हांकता है। हमारे पहाड़ों की ये बिडंबना रही है कि यहां के युवाओं के लिए सेना ही एकमात्र विकल्प बचता है। पर स्थितियां ऐसी हैं कि भर्ती में दौडऩे वाले पांच से 10 फीसद युवाओं का ख्वाब ही पूरा हो पाता है। हल्द्वानी में इन दिनों जो नजारा है वो बेरोजगारी की भयावहता को बयां करने के लिए काफी है।

एक गांव से 32 युवा, एक ने निकाली दौड़
बागेश्वर जिले के चेताबगड़ गांव से 32 युवा सेना भर्ती के लिए हल्द्वानी पहुंचे थे। हैरत की बात यह रही कि इनमें से केवल एक ही युवक ने दौड़ पूरी की। हालांकि चेस्ट कम होने से बाद में उसे भी बाहर होना पड़ा। गांव के राजेंद्र सिंह कोश्यारी ने बताया कि वो और उनके कुछ साथी हाइट में बाहर हो गए। वहीं, दौड़ निकालने में असफल रहे देवेंद्र सिंह कोश्यारी व रमेश सिंह ने कहा कि ट्रेक थोड़ा मुश्किल है। इससे युवाओं को परेशानी हो रही है।

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