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आंदोलन

आज प्रधानमंत्री के जन्मदिन से होगी नर्मदा नदी के मरणदिन की शुरुआत : मेधा पाटकर

Janjwar Team
17 Sep 2017 8:40 AM GMT
आज प्रधानमंत्री के जन्मदिन से होगी नर्मदा नदी के मरणदिन की शुरुआत : मेधा पाटकर
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आज प्रधानमंत्री मोदी अपने 67वें जन्मदिन पर करेंगे गुजरात में सरदार सरोवर बांध का लोकार्पण, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के हजारों लोग करेंगे जल सत्याग्रह करेंगे, आंदोलनकारियों ने कहा प्रधानमंत्री के जन्मदिन से होगी नर्मदा नदी के मरणदिन की शुरुआत

जनज्वार। 56 साल बाद जिस सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद मोदी अपने 67वें जन्मदिन पर आज करेंगे, उसका शिलान्यास देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 को किया था।

यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। अमेरिका का ग्रांड कोली डेम दुनिया का सबसे बड़ा बांध है।

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर और लंबाई 1,210 मीटर है। बांध के 30 दरवाजे हैं। इस बांध का डूब क्षेत्र करीब 214 किलोमीटर है और 194 गांवों के करीब 44 हजार परिवार इससे प्रभावित हुए हैं। बांध का सबसे ज्यादा फायदा गुजरात को मिलेगा। इससे यहां के 15 जिलों के 3137 गांव की 18.45 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकेगी।

माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस बांध का उद्घाटन गुजरात विधानसभा चुनाव के दबाव में कर रहे हैं, क्योंकि पिछले 22 सालों के बीजेपी के शासन में पहली बार राज्य में इस कदर भाजपा विरोधी माहौल है।

सरदार सरोवर बांध विश्व बैंक के पैसे से बना है जिसकी मंजूरी विश्वबैंक ने 1985 में दी थी। 1989 में मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत की और सरदार सरोवर बांध प्रभावितों का मसला एक अंतरराष्ट्रीय सवाल बना। 1993 में विश्व बैंक ने अपनी फंडिंग रोक दी। 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने बांध निर्माण पर रोक लगा दी और 1999 में इसे पुन: शुरू करने का आदेश दिया। लेकिन बांध के गेटों की उंचाई का सवाल तब हल हुआ, जब 2014 में भाजपा की सरकार आई।

वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले लोग अपने घर छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं। मेधा पाटकर ने कहा कि ऊपर के बांधों को खाली कर सरदार सरोवर बांध को भरने कार्य किया जा रहा है, मुख्यमंत्री की घोषणा 900 करोड़ रुपए का अभी तक कोई भी पैसा विस्थापितों तक नहीं पहुंचा है जो घोषणा है वह धरातल पर अभी तक नहीं आयी है। घोषणा कुछ अलग होती है, आदेश कुछ अलग होते हैं।

मेधा के मुताबिक आज नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन होगा, नर्मदा घाटी का मरणदिन होगा। अभी कुम्हारों को अधिकार नहीं मिला, मछुआरों को अधिकार नहीं मिला है, किसानों को भी 60 लाख रुपए अभी तक नहीं मिला है, टापू में जा रही खेती के रास्ते भी नहीं बनाये गये है, बैक वाॅटर लेव्हल से 15946 परिवारों को उनका मालिकाना हक भी नहीं दिया है। अविवाहित खातेदार, विधवा महिलाओं इत्यादि को भी पात्रता के अनुसार लाभ नहीं मिला है।

आंदोलन से जुड़े चिन्मय मिश्रा कहते हैं कि अभी विस्थापितों उनका हक अधिकार नहीं मिला है। शिवराज सिंह चौहान मोदी जी को खुश करने के लिए नर्मदा घाटी की हत्या कर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत के फैसले 2000, 2005,2017, नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, राज्य की पुनर्वास नीति एवं राज्य सरकार के आदेशों का भी पालन नहीं कर रही है सरकार।

गुजरात में भी पुनर्वासित परिवार धरने पर बैठे है, बांध परियोजना का काम अधूरा है, 70 प्रतिशत से अधिक नहरों का काम होना बाकी है, फिर भी सरकार गुजरात में होने वाले चुनावों की रणनीति के लिए सरदार सरोवर का उद्घाटन करके और बांध पूरा होने का भ्रम फैलाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

गुजरात कांग्रेस के नेता शक्ति सिंह गोहिल ने सरदार सरोवर बांध की तैयारियों पर सवाल खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री से यह जानना चाहा कि 43 हजार किलोमीटर नहर परियोजना का काम आज तक अधूरा क्यों है, जबकि पिछले 22 सालों से गुजरात में भाजपा की सरकार है।

प्रधानमंत्री का यह एक हफ्ते के भीतर गुजरात में दूसरा दौरा है। इससे पहले वह जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ बुलेट ट्रेन की तैयारियों के लिए वहां गए थे।

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