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​योगी की गुंडा पुलिस ने की थी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले वकील के एनकाउंटर की तैयारी

Janjwar Team
21 May 2018 10:07 PM GMT
​योगी की गुंडा पुलिस ने की थी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले वकील के एनकाउंटर की तैयारी
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चार दिन बीत जाने के बावजूद नहीं दर्ज हुई है पुलिस के खिलाफ एफआईआर, पुलिसिया पिटाई से बुरी तरह जख्मी हैं एडवोकेट मसूद रजा

लखनऊ। भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों को उठाने वाले उतरौला बलरामपुर के अधिवक्ता मोहम्मद मसूद रजा पर पुलिसिया हमले के चार दिनों बाद भी एफआईआर दर्ज न होना साफ करता है कि योगी सरकार अपने अपराधी पुलिस वालों को बचाने की फिराक में है। बलरामपुर के उतरौला थाने में पिछले दिनों एडवोकेट मोहम्मद मसूद रजा पर हमले के बाद उनके भाई सेराजुल हक और अब्दुल हफीज खान ने बताया कि अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव को एडवोकेट मसूद रजा जोकि पुलिसिया हमले में गंभीर रूप से घायल हुए हैं, फोन पर बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत एसपी बलरामपुर, मुख्यमंत्री, बार काउंसिल, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग समेत कई अन्य जगहों पर की गई है। उतरौला बार एसोशिऐसन ने कोतवाल सहित दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग की है। इस पर एसपी, बलरामपुर ने एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया है, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय स्तर पर यह भी सूचना है कि पुलिस एक और फर्जी मामले में मसूद रजा समेत अन्य को अभियुक्त बनाकर उनको फर्जी मुकदमे में फंसाना चाहती है।

मसूद रजा ने बलरामपुर चीनी मिल से हो रहे प्रदूषण जैसे अहम मुद्दों को हाईकोर्ट तक लाकर लड़ाई लड़ी, ताकि आम अवाम और जीव जन्तु सरक्षित रह सकें। रिहाई मंच ने बयान जारी कर कहा कि आज मसूद रजा पर हुआ पुलिसिया हमला भ्रष्टाचारी कंपनी और पुलिस के गठजोड़ का नतीजा है, जो नहीं चाहती कि उनके मुनाफे के कारोबार को कोई धक्का लगे। एक तरफ योगी कहते हैं कि अपराधियों से मुक्त यूपी होगादूसरी तरफ उनकी पुलिस अपराध के खिलाफ शिकायत करने वालों पर जानलेवा हमला कर रही है, जो बताता है कि सरकार अपराधियों के साथ है और आम आदमी हवालात में है।

घटनाक्रम के मुताबिक 16 मई 2018 को मसूद रजा, शाकिर के साथ उतरौला पुलिस स्टेशन एक मामले को लेकर गए, जहां पीड़ित पक्ष ने एफआईआर करने की बात एसएचओ से की। लेकिन एसएचओ एफआईआर दर्ज करने के बजाए एडवोकेट मसूद रजा को गाली देने लगे। वहीं मौजूद मसूद के छोटे भाई हसमत रजा का मोबाइल पुलिस ने छीन लिया और कहा कि ये वीडियो बना रहा था, इसको भी पीटो जिससे वीडियो बनाना भूल जाए। हसमत किसी तरह वहां से भाग निकले। इस सब पर जब मसूद ने आपत्ति दर्ज की तो पुलिस उन्हें बेरहमी से पीटने लगी।

फोटो प्रतीकात्मक

मसूद अपनी जान बचाने के लिए पुलिस के चंगुल से निकलने की कोशिश करने लगे तो पुलिस उन्हें चौराहे से घसीटते हुए लाकर थाने पर पीटने लगी और कहा कि बड़ा वकील बनता है, इलाहाबाद के वकील की तरह इसका भी इनकाउंटर कर दो। कोतवाल संतोष कुमार सिंह के साथ दर्जनभर पुलिस वालों ने पीट-पीटकर मसूद को अधमरा कर दिया। जिससे उनके सीने, कान, सिर, हाथ-पैर समेत पूरे जिस्म पर गंभीर चोटें आईं। इसके बाद पुलिस ने मसूद को लाकअप में बंद कर दिया और ऊपर से केस भी लगा दिया। कोतवाल संतोष सिंह के निर्देश पर पुलिस हसमत रजा की भी खोज करने लगी। कोतवाल ने निर्देश दिया कि उसको जैसे भी हो पकड़ कर लाओ, तीनों का एनकाउंटर कर देंगे।

मसूद गंभीर चोटों की वजह से अभी अस्वस्थ हैं। रिहाई मंच की अगुवाई में एक जांच टीम उतरौला, बलरामपुर जाकर उनसे मुलाकात कर तथ्यों की छानबीन करेगी, क्योंकि अधिवक्ता पर हमला बताता है कि वहां आम आदमी का क्या हाल होगा। यह मानवाधिकार का गंभीर मसला है। इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

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