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राजनीति

बीजेपी महासचिव ने कहा लेनिन की मूर्ति गिरा दी अब गिरायेंगे पेरियार की

Janjwar Team
6 March 2018 4:31 PM GMT
बीजेपी महासचिव ने कहा लेनिन की मूर्ति गिरा दी अब गिरायेंगे पेरियार की
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जैसे जैसे भाजपा देश जीतते जा रही है, वैसे वैसे विचार विरोधियों को ठिकाने लगाने का भी काम कर रही है। सवाल ये है कि विचार का जवाब क्या लोकतंत्र में विध्वंस करके तालिबानी तरीके से दिया जाएगा...

जनज्वार। पहली बार पूर्वोत्तर में जीतने के बाद भाजपा और आरएसएस समर्थित पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की गुंडई सड़कों पर उतर आई है।

कल दक्षिण त्रिपुरा जिले में लेनिन की मूर्ति गिराने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु के महासचिव एच राजा ने कहा है कि अब दलित चिंतक पेरियार की मूर्ति गिराएंगे।

गौरतलब है कि दलित चिंतक पेरियार ने जाति और धर्म के खिलाफ सबसे लंबी लड़ाई लड़ी थी। वे दलितों के आदर्श माने जाते हैं। वे एक महान दलित चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञों में शुमार थे जिन्हें आत्म-सम्मान आंदोलन शुरू करने का श्रेय जाता है। उनकी ख्याति दलित आंदोलन में फादर आॅफ द्रविड़ के बतौर है।

संबंधित खबर : भाजपाइयों ने बुलडोजर से ढहा दी त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति

गौरतलब है कि दक्षिण त्रिपुरा जिले के बलोनिया चौक पर मजदूर नेता लेनिन की 5 फिट की मूर्ति को भाजपा समर्थकों ने ढहा दिया था। त्रिपुरा में लंबे समय तक सत्ता में रही वामपंथी सरकार ने यह मूर्ति श्रमिक जनता के गौरव के तौर पर स्थापित की थी। दुनिया भर के मजदूर लेनिन को अपने संघर्ष के मुख्य नायक के तौर पर याद रखते हैं और उनके बताए आदर्शों के अनुसार दुनिया में समाजिक बराबरी वाला समाज बनाकर समाजवाद की स्थापना करना चाहते हैं।

इसी को ढहाए जाने की खुशी में वरिष्ठ भाजपा नेता और तमिलनाडु प्रदेश महासचिव एच. राजा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लगाई थी जिसमें लिखा था, 'लेनिन कौन है? भारत में उसकी क्या प्रासंगिकता है? सांप्रदायिकता और भारत के बीच क्या कड़ी है? त्रिपुरा में कल लेनिन की मूर्तियां नष्ट की गई हैं, तमिलनाडु में अब जातिवादी पेरियार की प्रतिमाओं को तोड़ा—ढहाया जाएगा।'

एच राजा सोशल मीडिया पर यह पोस्ट लगाने के बाद ट्रोल हो रहे हैं। पेरियार को जातिवादी और उनकी मूर्ति को ढहाने की धमकी खुलेआम सोशल मीडिया पर देने के लिए उनकी काफी आलोचना हो रही है।

कौन हैं पेरियार
17 सितम्बर, 1879 को तमिलनाडु के ईरोड में जन्मे पेरियार का पूरा नाम ई.वी. रामास्वामी था। तमिल राष्ट्रवादी, राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता रामास्वामी को उनके प्रशंसक आदर के साथ ‘पेरियार’ संबोधित करते थे। पेरियार को‘आत्म सम्मान आन्दोलन’ और ‘द्रविड़ आन्दोलन’ शुरू करने का श्रेय जाता है। पेरिया ने जस्टिस पार्टी का गठन किया था, जो बाद में ‘द्रविड़ कड़गम’ पार्टी हो गई। आजीवन रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध करने वाले पेरियार ने दक्षिण भारतीय समाज के शोषित वर्ग के लिए ताउम्र लंबी लड़ाई लड़ी और काम किया। ब्राह्मणवाद और ब्राह्मणों पर करारा प्रहार करते हुए उन्होंने एक पृथक राष्ट्र ‘द्रविड़ नाडु’ की मांग की। पेरियार ई.वी. रामास्वामी ने तर्कवाद, आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर काफी जोर दिया और जाति प्रथा का घोर विरोध किया। उनके भरसक प्रयत्यों से तमिल समाज में काफी परिवर्तन आया और जातिगत भेदभाव भी काफी हद तक कम हुआ। यूनेस्को ने उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आन्दोलन के पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’ कहा।

पहले भी भाजपा करती रही है पेरियार का विरोध
मायावती के शासनकाल में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापतिराम त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री मायावती और सरकार से पेरियार लिखित अंग्रेजी पुस्तक 'ट्रू रामायण' एवं उसके हिन्दी अनुवाद 'सच्ची रामायण' किताब पर प्रतिबंध लगाए जाने की माँग की थी। कहा था कि राम— कृष्ण के अस्तित्व को नकारने, रामायण व महाभारत को काल्पनिक कथा बताने, राम—सीता को चरित्रहीन कहने, सीता का अश्लील वर्णन करने, सीता का राम से गर्भवती न होने की बात लिखने, दशरथ की तीनों रानियाँ पुरोहितों से गर्भवती थीं लिखने, राम को बेईमान, ढोंगी, भोगी, छली-कपटी, पाखंडी, दुष्ट आदि बताने वाले पेरियार रामास्वामी की सरकार निंदा करे।

त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार पर आरोप लगाया था कि वह तमिलनाडु के एक कथित नेता रामास्वामी पेरियार को महिमामंडित कर रही है। बसपा हिन्दू समाज के अपमान पर आमादा है। पेरियार गाली देने की हद तक राम विरोधी थे। उन्होंने सच्ची रामायण के जरिये सम्पूर्ण सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आदर्श प्रतीक श्रीराम को लांछित किया है। त्रिपाठी ने यह भी कहा था कि भाजपा राष्ट्र विरोध, राष्ट्रभाषा विरोध, अलगाववाद सहित पेरियार के विचार, राजनीति और आन्दोलनों के खिलाफ है।

तत्कालीन प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता हृदयनारायण दीक्षित ने भी आरोप लगाया था कि बसपा सरकार तमिलनाडु के अलगाववादी, हिंसावादी रामास्वामी नायकर पेरियार को महिमामंडित कर महापुरुष बनाने की दिशा में बढ़ गई है। डॉ. अम्बेडकर अब महत्वपूर्ण नहीं रहे।

भाजपा नेता सार्वजनिक मंच से घोषणा और दुष्प्रचार करते रहे हैं कि पेरियार तमिलनाडु को भारत से अलग मानते थे। वे भारत के मूल निवासी आर्यों को विदेशी बताते थे। पेरियार ने द्रविड़ कड़गम बनाया। यह भी बताते हैं कि द्रविड़ बनाम बाकी भारत के विरुद्ध आक्रामक अभियान चलाए। राष्ट्रभाषा हिन्दी के विरुद्ध हिंसक आन्दोलन हुए। गौरतलब है कि सम्यक प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित सच्ची रामायण (पृष्ठ-3) में पेरियार लिखते हैं- यह एक काल्पनिक कथा है। राम न तो तमिल था और न ही तमिलनाडु का रहने वाला। वह उत्तर भारत का निवासी था। जिस रावण का उसने वध किया वह लंका अर्थात दक्षिणी तमिलनाडु का राजा था। राम और सीता में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिसे दैवी अथवा श्रेष्ठ कहा जा सके।'

इसी का विरोध करते हुए तमाम भाजपा नेता सार्वजनिक मंचों से कहते रहे हैं कि पेरियार की सच्ची रामायण के तमाम अंश अश्लील हैं।

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