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फोर्टिस ने 15 दिन में वसूले 16 लाख, फिर भी नहीं बची डेंगू पीड़ित बच्ची

Janjwar Team
21 Nov 2017 6:48 PM GMT
फोर्टिस  ने 15 दिन में वसूले 16 लाख, फिर भी नहीं बची डेंगू पीड़ित बच्ची
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प्राइवेट अस्पतालों की लूट के किस्से कम नहीं हो रहे, डेंगू की बीमारी में 15 दिन के भीतर 16 लाख बिल लेकर फोर्टिस वाले अभी भी अपनी लूट को ठहरा रहे हैं जायज

बच्ची कुल 15 दिन रही भर्ती, अस्पताल में ही हुई मौत, 15 दिन के इलाज में प्रतिदिन औसत लगे 40 इंजेक्शन, क्योंकि हॉस्पीटल के 16 लाख के बिल में शामिल हैं 660 सीरींज और 2.73 लाख के 27 सौ गलब्स

स्वास्थ्य मंत्री ने मांगी इस 'लूट' की पूरी डिटेल, कहा कि अस्पताल के खिलाफ करेंगे कार्रवाई, इलाज के दौरान हो गयी थी 7 वर्षीय बच्ची आद्या की मौत

जनज्वार, दिल्ली। 15 दिन के डेंगू के इलाज में गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल ने उस पिता से 15.79 लाख रुपए वसूल लिए जिसकी बच्ची आखिरकार नहीं बच सकी। 7 वर्षीय आद्या के पिता जयंत सिंह को फोर्टिस अस्पताल में डेंगू पीड़ित बच्ची के इलाज के दौरान यह भारी रकम चुकानी पड़ी, जिसको सुनकर पूरा देश हतप्रभ है और फिर लोगों के दिल में प्राइवेट अस्पतालों की लूट के सिलसिले का खौफ और गहरे बैठ गया है।

दिल्ली के द्वारका में रहने वाले आद्या के पिता जयंत सिंह के मुताबिक उनकी 7 वर्षीय बेटी आद्या को 27 अगस्त की रात तेज बुखार था और वह द्वारका के सेक्टर 12 के रॉकलैंड हॉस्पिटल में भर्ती थी, पर बुखार उतर नहीं रहा था। 31 अगस्त को रॉकलैंड में जांच के बाद पता चला कि उसे टाइप फोर डेंगू है। और हालत इतनी गंभीर हो गयी कि रॉकलैंड के डॉक्टरों ने कहीं और भर्ती के लिए कहा।

उसके बाद 7 साल की बच्ची आद्या को 31 अगस्त को गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी भर्ती होने के 2 हफ्ते बाद 15 सितंबर को मौत हो गयी। बच्ची की मौत के बाद लाश ले जाने से पहले फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन ने 15.79 लाख का बिल थमा दिया।

बिल में ब्रैंडेड दवाइयों के लिए 4 लाख रुपये वसूले गए, जबकि सस्ती दवाइयां उपलब्ध थीं। वहीं 15 दिन के इलाज में 2700 गलब्ज लगे, जिनकी कीमत 2.73 लाख थी। ब्लड टेस्ट का बिल 2.17 लाख का रहा, तो डॉक्टरी जांच और सलाह 'डायग्नोस्टिक्स' का बिल भी लाखों में था। आद्या की मां दीप्ति कहती हैं, 16 लाख के बिल के अलावा मेरी बेटी के कफन तक के फोर्टिज हॉस्पिटल ने 700 रुपए वसूल लिए।

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इस लूट पर अपनी गलती मानने या हर्जाना देने की बजाय अस्पताल प्रबंधन मां—बाप को ही बच्ची की मौत का दोषी ठहरा रहा है। बड़ी बात ये कि असंवेदनशीलता और मुनाफाखोरी की फैक्ट्री बन चुका यह अस्पताल तर्क दे रहा है कि जयंत इस मसले को इतने दिन बाद क्यों उठा रहे हैं?

हालांकि इस मामले में खुद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप किया है और परिवार के समर्थन में आए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि मुझे [email protected] पर डिटेल भेजिए, हम इस पर जरूरी कार्यवाही करेंगे।

मृतक बच्ची के पिता जयंत यह भी बताते हैं कि जब उनकी बेटी 27 से 31 अगस्त के बीच रॉकलैंड हॉस्पिटल द्वारका में भर्ती तब 4 दिन बाद डेंगू का पता चला और उनकी बेटी को स्वाइन फ्लू के मरीज के साथ लिटाया गया था।

15 दिन में 18 लाख वसूलने वाले फोर्टिस के खिलाफ न्याय की लड़ाई में जयंत सिंह जीत पाएंगे या नहीं, यह तो सरकारी संस्थाओं की मजबूती बताएगी, पर एक बात तो साफ है कि प्राइवेट अस्पताल इलाज के नाम पर बारी—बारी से सबके घरों में डाका डाल रहे हैं और लोगों की रो—बिसुर के असहाय हो चुपचाप रह जाने की नियति बनती जा रही है।

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