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बलात्कार के बाद कानून छात्रा की नृशंसता से हत्या करने वाले को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा

Janjwar Team
14 Dec 2017 7:03 PM GMT
बलात्कार के बाद कानून छात्रा की नृशंसता से हत्या करने वाले को कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
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अमीरुल इस्लाम ने रेप के वक्त जिशा की योनि में घुसाए थे नुकीले औजार, इस दरिंदगी से रेप और मर्डर किया कि आंतें निकल गई थीं बाहर....

केरल। बलात्कार मामलों में कानून ने इस बीच जिस तरह के काबिलेतारीफ फैसले दिए हैं, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि समाज में ऐसी घटनाओं में कमी आएगी। यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि मानसिक रोगियों की रूह कांपेगी ऐसे जुर्म को अंजाम देने से पहले।

मौजूदा मामला केरल की दलित छात्रा जिशा से जुड़ा है, जिसको पिछले साल 28 अप्रैल 2016 को पेरुम्बावूर में बलात्कार के बाद नृशंसता से मौत के घाट उतार दिया गया था। इस मामले में केरल की अदालत ने आज एक ऐतिहासिक और साहसिक फैसला सुनाते हुए आरोपी अमीरुल इस्लाम को सजा—ए—मौत की सजा मुकर्रर की है।

केरल के एर्नाकुलम की प्रधान सत्र अदालत के जज एन अनिल कुमार ने यह सजा सुनाई है। गौरतलब है कि प्रवासी मजदूर इस्लाम ने पिछले साल पेरुम्बावूर में पढ़ाई कर रही जिशा का न सिर्फ बलात्कार किया था, बल्कि रेप के बाद नृशंसता की हदें पार करते हुए उसे मौत की नींद सुला दिया था।

हालांकि इस्लाम के वकील ने उसे बचाने के लिए खूब सारी दलीलें पेश की थीं, मगर पुलिस की निष्पक्ष और वैज्ञानिक तरीके से की गई जांच के आगे उसकी एक न चली और आरोपी कानून के शिकंजे से नहीं बच पाया। बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी थी कि आरोपी इस्लाम सिर्फ अपनी मातृभाषा असमी समझता है और केरल पुलिस ने उसके साथ निष्पक्ष व्यवहार नहीं किया, उसे जान—बूझकर इस रेप एंड मर्डर केस में फंसाया गया है।

वहीं अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि जिस क्रूरता से 30 वर्षीय कानून की छात्रा का बलात्कार के बाद हत्या की गई वह दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में आता है। इस मामले में आरोपी को कम से कम मौत की सजा होनी चाहिए।

गौरतलब है कि जिशा की भी बलात्कार के बाद कुछ वैसी हालत कर दी गई थी, जैसी 2012 में दिल्ली में निर्भया की गई थी। पैशाचिक और बर्बर तरीके से निहत्थी जिशा को मानसिक रोगी इस्लाम ने अपना निशाना बनाया था।

जहां एक तरफ इस्लाम का वकील उसको निर्दोष करार देने और पुलिस की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर रहा था, वहीं मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने इस अपराध में इस्लाम की संलिप्तता साबित करने के लिए डीएनए तकनीक और कॉल रिकॉर्ड की जानकारियों से सच का पता लगाया।

पिछले वर्ष अप्रैल अब तक जांच—पड़ताल के दौरान इस मामले में 100 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे।

इस्लाम ने जिशा के बलात्कार के वक्त नुकीले औजारों को उसकी यौनि में घुसाया था। भरपूर उत्पीड़न और बलात्कार के बाद जिशा को मार दिया था।

पुलिस के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम के वक्त जिशा की आंतें बाहर निकली हुई थीं। उसकी यौनि में जगह—जगह गंभीर जख्म दिख रहे थे। जिशा के शरीर पर 30 से भी ज्यादा गंभीर चोटों के निशान पाए गए थे।

जिशा के रेप और मर्डर के बाद इस्लाम पेरुम्बावूर छोड़कर चला गया था। पुलिस ने घटना के 50 दिन बाद उसे पड़ोसी राज्य तमिलनाडु कांचीपुरम से गिरफ्तार किया था। जिशा के आरोपी तक पहुंचने के लिए 100 पुलिसवालों ने डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी।

बलात्कारी मोहम्मद अमीरुल इस्लाम को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302, 376, 376(ए) के तहत दोषी करार देते हुए न्यायाधीश एन अनिल कुमार ने मौत की सजा सुनाई। साथ ही जिशा बलात्कार एंड मर्डर केस में कोर्ट ने बलात्कारी को पकड़ने के लिए पुलिस ने जिन वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया, उसकी तारीफ की। कहा अगर पुलिस इसी तरह काम करेगी तो अपराधियों का बचना असंभव है।

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