Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

ख़त्म हो रही है लिखने की आजादी, भारत फ्रीडम टू राइट इंडेक्स में शामिल 33 देशों में 13 नंबर पर

Janjwar Desk
4 May 2024 11:33 AM GMT
Freedom to Write Index 2023: भारत में लिखने की सरकार कितनी देती है आजादी, उसका इंडेक्स देख आप होंगे हतप्रभ
x

Freedom to Write Index 2023: भारत में लिखने की सरकार कितनी देती है आजादी, उसका इंडेक्स देख आप होंगे हतप्रभ

दुनियाभर में बंद 339 लेखकों में से सबसे अधिक 180 ऑनलाइन कमेंटेटर, 115 साहित्यिक लेखक हैं, 108 पत्रकार, 80 एक्टिविस्ट, 68 कवि हैं, 63 बुद्धिजीवी हैं, 38 कलाकार, 31 गायक या गीतकार हैं, 14 अनुवादक हैं, 13 प्रकाशक हैं, 12 सम्पादक और 5 रंगकर्मी हैं.....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

The world has become a dangerous place for independent writers. लेखकों, बुद्धिजीवियों और कलाकारों के अभिव्यक्ति की आवाज पर नजर रखने वाली संस्था, पेन अमेरिका (PEN America), पिछले पांच वर्षों से लिखने की आजादी इंडेक्स, यानी फ्रीडम टू राइट इंडेक्स, प्रकाशित करती है और इस इंडेक्स के हरेक संस्करण में इस सन्दर्भ में सबसे खराब देशों में भारत शामिल रहता है।

इस इंडेक्स का आधार हरेक देश में अपने काम या अपने लेखन के लिए विशुद्ध राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किये गए लेखकों, बुद्धिजीवियों या कलाकारों की संख्या होती है। इस इंडेक्स का नया संस्करण अप्रैल 2024 में प्रकाशित किया गया है, जिसका आधार वर्ष 2023 के आंकड़े हैं, और हमारा देश इस इंडेक्स में कुल 33 देशों में 13वें स्थान पर है।

वर्ष 2023 में दुनिया के 33 देशों में कुल 339 लेखक/बुद्धिजीवी जेल में बंद थे। यह संख्या पिछले 5 वर्षों में सर्वाधिक है, वर्ष 2019 के पहले संस्करण में यह संख्या 238 थी। यह संख्या वर्ष 2022 की तुलना में 9 प्रतिशत अधिक है। पहले स्थान पर चीन है, जहां कैद किये गए लेखकों की संख्या पहली बार 100 से भी अधिक, 107 तक पहुँच गयी है। दूसरे स्थान पर 49 ऐसे कैदियों के साथ इरान है और तीसरे स्थान पर 19 कैदियों के साथ सऊदी अरब है। चौथे स्थान पर विएतनाम (19), पांचवें पर इजराइल (17), छठे पर बेलारूस (16), सातवें पर रूस (16), आठवें पर तुर्किये (14), नौवें स्थान पर म्यांमार (12) और दसवें स्थान पर एरिट्रिया (7) है। ग्यारहवें स्थान पर 6 लेखकों को कैद कर इजिप्ट और क्यूबा हैं। इसके बाद 5 लेखकों को जेल में डालकर संयुक्त तौर पर भारत, उज्बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और मोरक्को का स्थान है।

वर्ष 2023 में जेल में बंद रहे भारतीय लेखकों के नाम हैं – अरुण फेरिरा, प्रबीर पुरकायस्थ, फहद शह, वेर्नों गोंजाल्वेस और हनी बाबू। अरुण फेरिरा साहित्यिक लेखक और गीतकार हैं और अगस्त 2018 से कैद हैं। न्यूज़क्लिक के संस्थापक और सम्पादक प्रबीर पुरकायस्थ अक्टूबर 2023 से आतंकवाद-निरोधक क़ानून के तहत जेल में बंद हैं। कश्मीर में सम्पादक फहद शाह राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के नाम पर अक्टूबर 2022 से हिरासत में थे और नवम्बर 2023 में जमानत पर रिहा हुए।

भीमा-कोरेगाँव मामले में लेखक वरुण गोंजाल्वेस और हैनीबाबू को जेल में रखा गया है। जाहिर है, ये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ता और लेखक किसी आपराधिक कारणों से नहीं बल्कि केवल सत्ता के विरोध जैसे राजनैतिक कारणों से ही जेल में ठूंसे गए हैं। भारत शुरू से इस इंडेक्स में पहले दस देशों में शामिल रहता था, पर इजराइल और रूस के युद्ध के कारण वहां अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने में तेजी आ गयी है, इसलिए भारत दसवें स्थान से आगे चला गया है।

कैद किये गए लेखकों की पूरी संख्या में 15 प्रतिशत, यानी 51 महिलायें भी हैं। राजनीतिक कारणों से लेखकों को जेल में डालने की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं। वर्ष 2023 में 339, वर्ष 2021 के लिए यह संख्या 277 है, वर्ष 2020 में संख्या 273 थी और वर्ष 2019 में यह संख्या 238 थी। सबसे अधिक महिलायें, 15, ईरान में कैद हैं, इसके बाद 9 महिला लेखिकाओं को कैद कर चीन दूसरे स्थान पर है। तीसरे स्थान पर इजराइल है, जहां 6 महिला लेखिकाएं कैद हैं।

इस इंडेक्स के अनुसार दुनियाभर में बंद 339 लेखकों में से सबसे अधिक 180 ऑनलाइन कमेंटेटर, 115 साहित्यिक लेखक हैं, 108 पत्रकार, 80 एक्टिविस्ट, 68 कवि हैं, 63 बुद्धिजीवी हैं, 38 कलाकार, 31 गायक या गीतकार हैं, 14 अनुवादक हैं, 13 प्रकाशक हैं, 12 सम्पादक और 5 रंगकर्मी हैं। हरेक वर्ष कवियों की सख्या बढ़ती जा रही है, जाहिर है फिर से कवितायें विद्रोह की आवाज बन रही हैं और ऐसा म्यांमार और चीन के कवियों ने स्पष्ट तौर पर दिखाया है। वर्ष 2023 में ईरान में दुनिया के किसी भी देश की तुलना में लेखकों, कवियों और कलाकारों को जेल की सलाखों के पीछे डाला गया।

हम इतिहास के उस दौर में खड़े हैं जहां मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के सन्दर्भ में हम पाकिस्तान, रूस, चीन, बेलारूस, तुर्की, हंगरी, इजराइल को आदर्श मान कर उनकी नक़ल कर रहे हैं और स्वघोषित विश्वगुरु का डंका पीट रहे हैं। यह दरअसल देश के मेनस्ट्रीम मीडिया की जीत है, क्योंकि यह मीडिया ऐसा ही देश चाहता है और देश में ऐसी ही निरंकुश सत्ता चाहता है जिसके तलवे चाटना ही उसे समाचार नजर आता है।

सन्दर्भ:

Freedom to Write Index 2023, PEN America – pen.org/report/freedom-to-write-index-2023/

Next Story

विविध